अब तू दूर है मुझसे(a poem of memory)



अब तू दूर है मुझसे पर मेरे सबसे पास है
तू तब भी मेरे लिए खा था तू अब भी मेरे लिए खास है
ये तेरे अनुपम ने भेजा है पैगाम जरुर पढना
वो हमेशा तेरे आस पास है
मेरा यकीं न हो तो खुद से पूँछ ले
मेरा एहसास कराती तेरी हर एक साँस है
अब तू दूर है मुझसे पर मेरे सबसे पास है.

लिखा है ख़त में मैंने मेरा दिल तू कैसा है
क्या जैसा था मेरे साये में अब भी वैसा है
क्या कोई चिड़िया तुझे अब भी छेड़ जाती है
या तुझे भिगोकर बारिस मुस्कुराती है
क्या कोई हवा मेरा नाम लेकर तुझे नहीं सताती है
या ख़ामोशी में गुन गुनाता अब भी मेरा एहसास है
अब तू दूर है मुझसे पर मेरे सबसे पास है.

सुनो वो आम के पेड़ अब भी होंगे
क्या उनमें पहले जैसे आम लटकते होंगे
कौन खिलाता होगा तुमको अपने हाथों से लाकर
क्या अब भी सूखती है छज्जे पर वो प्यारी सी चादर
क्या गूंजता नहीं तुम्हारे कानों में मेरा कोई साज है
या आज भी वर्तमान से ज्यादा चहेता हमारा इतिहास है
अब तू दूर है मुझसे पर मेरे सबसे पास है


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