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वो कहती थी बाबा..........

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वो कहती थी बाबा , मैं न बोझ बनूँगी   कंधे से कन्धा , मिलाकर चलूंगी जमाने की चिंता , तू न कर बाबा   मैं ज़माने से आगे , निकल कर रहूंगी मुझे   भी हक़   है , जीने   का बाबा माँ   की ममता में , पलने का बाबा तेरे साथ मीलों , चलने का बाबा मुझे न मारो , मेरे आने के पहले मैं तुम्हारे सर , का ताज   बनूँगी जैसे तू पालेगा , बेसे पलूंगी .  वो कहती थी बाबा , मैं न बोझ बनूँगी कंधे से कन्धा , मिलाकर चलूंगी तू मेरी फ़िक्र , न कर ओ बाबा मैं खुद की हिफाजत , खुद ही करुँगी न चिंता कर , दहेज़ की बाबा   मैं ऐसी शादी , कभी न करुँगी तू सब्र कर , और मेरा हाथ पकढ़ बाबा मैं तेरा सहारा बनूँगी   मुझे जन्म लेने दे बाबा मैं तेरे आँगन में हर दम खिलूंगी   वो कहती थी बाबा , मैं न बोझ बनूँगी कंधे से कन्धा , मिलाकर चलूंगी मैं तेरा ही अंश हूँ बाबा , तेरे जैसी   ही बनूँगी तुझे भी नाज हो मुझपर , करम एसा करुँगी मैं बेटी हूँ तेरी बाबा , मगर

my love stories.....

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hi  i am anupam choubey i am talking about raghav mishra and he is saying about his story-: when i was growing i used to play with girls no wonder in this because every boy wants to play with girls,some one complete their wish and other not.and i was some one because i complete my wish when i don't know about this wish i just got girls like god gift,so i never realise how difficult to find the girls,i don't know about the love what is love? but when ever i  used to meet new girl i was in love with her because i used to forget evry thing when i was with girl............this thing was a love for me. but believe me i had heart i have a heart and my love stories was continue untill i didn't meet a girl who was not easily foundable and she was not god gift she was my passion she was my destiny she was my love because as everyone i too had a love story and a true story but i was realy difficult and different........i was very happy before my love story i was very happy i

मगर एक नारी......................

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खुली जब आँखें मेरी, खुली जब आँखें मेरी मैंने एक सूरत निहारी, वो थी एक नारी बड़े जतन से पाला मुझको, थी मेरी मारी गया जब दरश को मंदिर, थी वहाँ जगत की पालन हारी मगर एक नारी, मगर एक नारी जिसके करम ने, सारी   दुनिया   सम्बारी. मुझसे वो लढती, सिकायत वो करती मगर मेरी खातिर, दुनिया से भिड़ती हर एक मुसीबत में ,मेरे  साथ चलती थी मेरी बहिना , मेरी आँखों की तारी मगर एक नारी , मगर एक नारी . जो निकला सड़क पर , तो था एक चेहरा उतरा जो दिल , में बनकर सुनहरा सिखाया प्यार क्या होता है अपनों   का दर्द क्या होता है जिसने उठाया , नजरों का पहरा वो थी दिलकश , बड़ी प्यारी मगर एक नारी , मगर एक नारी सोचता हूँ अब मैं , बस एक बात जाऊँगा जब कुछ आगे , मिलेगा एक हाथ थामेगा जो मुझे , जब गिरूंगा कहीं   जिन्दगी के हर मोड़ पर , रहेगा जो साथ सुख दुःख बांटेगा मेरे , करेगा जीवन आवाद वो होगी मेरी जीवन सारी मगर एक नारी , मगर एक नारी मैं